हम अक्सर सोचतें है की हमे सबसे ज्यादा टेंशन है
कभी सोचा है नुक्कड़ पर बैठे एक चाय वाले को कितना टेंशन रहता होगा
प्लेटफोर्म पर चाबी के छल्ले बेचने वाले अंधे आदमी को कितना टेंशन होता होगा, सोचो उस चाय वाले आदमी के बच्चे ने कल रात को उससे कहा था की की पिताजी कल काम से लौटते समय मेरे लिए खिलौना लेते हूए आना पर उस दिन चाय ज्यादा नहीं बिक पाई, और खिलौना खरीदने जितना पैसा वह बचा नहीं सका, तो उस आदमी के ह्रदय पर क्या गुजरती होगी की बच्चे ने कोई फर्माहिश की है और मैं उसे भी पूरा नहीं कर पा रहा हूँ, उस अंधे फेरीवाले के बारे में सोचो जब उसके अंधेपन के कारन उसके चाबी के छल्ले कोई चुरा लगाया या कही गिरा दिए और जितना कमाया था उतना नुकसान हो गया अब उसकी विडम्बना देखिये यदि वह बचे हूए पैसो से रात का खाना खरीदता है तो कल का सामान खरीदकर कैसे बेचेगा
और अगर कल के सामान के लिए पैसे बचाएगा तो आज परिवार को क्या खिलायेगा
यदि आप इन दोनों की चिंता अथवा टेंशन के बारे में सोचेंगे तो आपको आपका टेंशन काफी छोटा दिखाई पड़ेगा
क्योंकि आपको यह टेंशन होगा की मुझे छुट्टी नहीं मिल रही है
बॉस ज्यादा काम करवा रहा है
या सखी ने आज ज्यादा पैसे उद्वा दिए
या आज खाना अच्छा नहीं बना था
मेरी तनख्वाह मेरे मित्र से कम है
चलिए इतने छोटे तमगे के इंसान के टेंशन से तुलना मत कीजिये
एक मध्यम वर्गीय परिवार के टेंशन की बात करते है इस महंगाई के दौर मैं एक इंसान महीने के ५००० कमाता है और इससे अधिक वह कम नहीं सकता क्योंकी वह इमानदार है
अअब बताइए यदि प्याज़ ७० रूपये हो तो वह क्या कमाएगा और क्या आपने शौक पुरे करेगा
इस बीच यदि तनख्वाह आने में १ २ दिन देर हो जाये और घर में बच्चा बीमार हो, घर में लगा बिजली का बल्ब ख़राब हो जाये, घर में आटा न हो तो वह इंसान क्या करेगा
बच्चे का इलाज उसका पेट भरना या उसकी पढाई के लिए बिजली का बल्ब
उसके टेंशन की सीमा को महसूस कीजिये
तो यदि आगे से कभी भी टेंशन हो तो मेरी इस छोटी से बात पर गौर फर्मायेगा और विचार कीजिये की किसकी चिंता बड़ी मेरी या इस किस्से में दर्शाए गए तीन लोगो की, हो सकता है इन तीनो लोगो को समस्याओ से मिलती जुलती आपकी भी जिंदगी रही होगी
जब आपके बड़े बुजुर्ग कुछ ऐसा ही सोचते होंगे, यदि इन तीन महापुरुषों के बारे में न सोच सके तो अपने बुजुर्गो का ध्यान कर लीजियेगा इससे आपके मन में उनके लिए सम्मान भी बढेगा और उनकी चिंता का स्तर भी समज आएगा
तो मेरी एक बात याद रख लीजिये की चिंता चिता के समान होती है सिर्फ एक बिंदी का ही फर्क है तो हँसिये गाइए मुस्कुराइए और टेंशन को पेंसन लेने भेज दीजिये......
कभी सोचा है नुक्कड़ पर बैठे एक चाय वाले को कितना टेंशन रहता होगा
प्लेटफोर्म पर चाबी के छल्ले बेचने वाले अंधे आदमी को कितना टेंशन होता होगा, सोचो उस चाय वाले आदमी के बच्चे ने कल रात को उससे कहा था की की पिताजी कल काम से लौटते समय मेरे लिए खिलौना लेते हूए आना पर उस दिन चाय ज्यादा नहीं बिक पाई, और खिलौना खरीदने जितना पैसा वह बचा नहीं सका, तो उस आदमी के ह्रदय पर क्या गुजरती होगी की बच्चे ने कोई फर्माहिश की है और मैं उसे भी पूरा नहीं कर पा रहा हूँ, उस अंधे फेरीवाले के बारे में सोचो जब उसके अंधेपन के कारन उसके चाबी के छल्ले कोई चुरा लगाया या कही गिरा दिए और जितना कमाया था उतना नुकसान हो गया अब उसकी विडम्बना देखिये यदि वह बचे हूए पैसो से रात का खाना खरीदता है तो कल का सामान खरीदकर कैसे बेचेगा
और अगर कल के सामान के लिए पैसे बचाएगा तो आज परिवार को क्या खिलायेगा
यदि आप इन दोनों की चिंता अथवा टेंशन के बारे में सोचेंगे तो आपको आपका टेंशन काफी छोटा दिखाई पड़ेगा
क्योंकि आपको यह टेंशन होगा की मुझे छुट्टी नहीं मिल रही है
बॉस ज्यादा काम करवा रहा है
या सखी ने आज ज्यादा पैसे उद्वा दिए
या आज खाना अच्छा नहीं बना था
मेरी तनख्वाह मेरे मित्र से कम है
चलिए इतने छोटे तमगे के इंसान के टेंशन से तुलना मत कीजिये
एक मध्यम वर्गीय परिवार के टेंशन की बात करते है इस महंगाई के दौर मैं एक इंसान महीने के ५००० कमाता है और इससे अधिक वह कम नहीं सकता क्योंकी वह इमानदार है
अअब बताइए यदि प्याज़ ७० रूपये हो तो वह क्या कमाएगा और क्या आपने शौक पुरे करेगा
इस बीच यदि तनख्वाह आने में १ २ दिन देर हो जाये और घर में बच्चा बीमार हो, घर में लगा बिजली का बल्ब ख़राब हो जाये, घर में आटा न हो तो वह इंसान क्या करेगा
बच्चे का इलाज उसका पेट भरना या उसकी पढाई के लिए बिजली का बल्ब
उसके टेंशन की सीमा को महसूस कीजिये
तो यदि आगे से कभी भी टेंशन हो तो मेरी इस छोटी से बात पर गौर फर्मायेगा और विचार कीजिये की किसकी चिंता बड़ी मेरी या इस किस्से में दर्शाए गए तीन लोगो की, हो सकता है इन तीनो लोगो को समस्याओ से मिलती जुलती आपकी भी जिंदगी रही होगी
जब आपके बड़े बुजुर्ग कुछ ऐसा ही सोचते होंगे, यदि इन तीन महापुरुषों के बारे में न सोच सके तो अपने बुजुर्गो का ध्यान कर लीजियेगा इससे आपके मन में उनके लिए सम्मान भी बढेगा और उनकी चिंता का स्तर भी समज आएगा
तो मेरी एक बात याद रख लीजिये की चिंता चिता के समान होती है सिर्फ एक बिंदी का ही फर्क है तो हँसिये गाइए मुस्कुराइए और टेंशन को पेंसन लेने भेज दीजिये......
2 comments:
Duniya me gamm hi gamm hia mera gamm kitna kam hai
bas ye hi batane hi koshish main bhi ker raha hoon...
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