ये रास्ते भी अजीब से होते हैं...
किसी को महबूबा से मिलाते हैं...
तो किसी को महफ़िल तक ले जाते हैं....
किसी को अपने घर तक तो....
किसी को अपनी मंज़िल तक ले जाते हैं....
कभी सोचता हूँ मैं ऐसा...
की ये रास्ते तो वही है..
पर राहगीर बदल जाता है....
पर असल में राहगीर भी वही है...
पर हालात बदल जाते है....
रास्ते तो बस हालातो को देखते रहते है..
कभी हँसते तो कभी रोते वक़्त को देखते हैं...
कभी ज़िन्दगी की रफ्तार तो कभी ख़ामोशी देखते हैं...
कभी युवा की मस्ती तो कभी किसी के आंसू देखते है...
चलो रास्तो से भी कुछ सीखते हैं..
बदलते हालातो में भी चलना सीखते हैं...
लोगो को मंजिल तक पहुचना सीखते हैं...
लोगों को थोडा हसाना भी सीखते हैं...
चलो रास्तो से भी कुछ सीखते हैं....
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